Wednesday, March 20, 2013

Touching Story - ''Our Apple Tree''


Touching Story ---> ''Our Apple Tree''









A long time ago, there was a huge apple tree. A little boy loved to come and play around it everyday. He climbed to the tree top, ate the apples, and took a nap under the shadow.

He loved the tree and the tree loved to play with him. Time went by, the little boy had grown up and he no longer played around the tree every day.

One day, the boy came back to the tree and he looked sad.

“Come and play with me”, the tree asked the boy.

“I am no longer a kid, I do not play around trees any more” the boy replied.

“I want toys. I need money to buy them.”

“Sorry, but I do not have money, but you can pick all my apples and sell them. So, you will have money.”

The boy was so excited. He grabbed all the apples on the tree and left happily. The boy never came back after he picked the apples. The tree was sad.

One day, the boy who now turned into a man returned and the tree was excited.

“Come and play with me” the tree said.

“I do not have time to play. I have to work for my family. We need a house for shelter. Can you help me?”

“Sorry, but I do not have any house. But you can chop off my branches to build your house.” So the man cut all the branches of the tree and left happily. The tree was glad to see him happy but the man never came back since then. The tree was again lonely and sad.

One hot summer day, the man returned and the tree was delighted.

“Come and play with me!” the tree said.

“I am getting old. I want to go sailing to relax myself. Can you give me a boat?” said the man.

“Use my trunk to build your boat. You can sail far away and be happy.”

So the man cut the tree trunk to make a boat. He went sailing and never showed up for a long time.

Finally, the man returned after many years. “Sorry, my boy. But I do not have anything for you anymore. No more apples for you”, the tree said. “No problem, I do not have any teeth to bite” the
man replied.

“No more trunk for you to climb on.” “I am too old for that now” the man said. “I really cannot give you anything, the only thing left is my dying roots,” the tree said with tears.

“I do not need much now, just a place to rest. I am tired after all these years,” the man replied.

“Good! Old tree roots are the best place to lean on and rest, come sit down with me and rest.” The man sat down and the tree was glad and smiled with tєαяs.

This is a story of everyone. The tree is like our parents. When we were young, we loved to play with our Mum and Dad. When we grow up, we leave them; only come to them when we need something or when we are in trouble. No matter what, parents will always be there and give everything they could just to make you happy.

You may think the boy is cruel to the tree, but that is how all of us treat our parents. We take them for granted; we don’t appreciate all they do for us, until it’s too late.

~ Moral:

Treat your parents with loving care…. For you will know their value, when you see their empty chair…We never know the love of our parents for us; till we have become parents .


Thanks 
Jainendra Verma

Thursday, January 26, 2012

उसे ६० करोड़ का चुना लगाया है

र|मन भाई को पता चला की उसके एकाउंटेंट ने उसे ६० करोड़ का चुना लगाया है.
एकाउंटेंट गूंगा और बहरा था. उसे नौकरी पर इसलिये लगाया था की बहरा होने के कारण कभी कोई राज़ की बात सुन नहीं सकेगा, और गूंगा होने के कारण कभी कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही नहीं दे सकेगा.



रमन भाई को गूंगे-बहारो के इशारो की समझ नहीं थी इसलिये पूछताछ के लिए अपने दाहिने हाथ “भीखू ” को ले गया जिसे इशारो की समझ थी.

रमन भाई ने एकाउंटेंट से पूछा “बता तुने जो मेरे ६० करोड़ उडाये है वो कहाँ छुपा रखे है?”
भीखू ने इशारो में एकाउंटेंट से पुछा उसने पैसे कहाँ छुपाये.
एकाउंटेंट ने इशारे में कहाँ : “मैं कुछ नहीं जानता तुम किं पैसो की बात कर रहे हो”

भीखू ने रमन भाई से कहा: “भाई बोल रहा वो कुछ नहीं जानता हम किं पैसो की बात कर रहे है.”
रमन भाई को गुस्सा आ गया और पिस्तौल एकाउंटेंट की कनपट्टी पर रखकर बोला “अब फिर पूछ!”
भीखू ने इशारों में एकाउंटेंट को कहा:
“तुने अगर नहीं बताया और भाई ने घोडा दबा दिया तो समझ ले तेरी वाट लग जायेगी!”

एकाउंटेंट ने डरकर इशारे किये: “अच्छा! में बताता हूँ! मैंने पैसे मेरे भाई संतु के घर के पिछवाड़े में गाड़ दिए थे!”
रमन भाई ने पूछा: “क्या बोलता है भीखू ?”

भीखू ने जवाब दिया: “भाई… बोलता है… की आपमें हिम्मत नहीं की उसे गोली मार सके!!”
********************************************************************

गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण

1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.

3. नृत्य-संगीत का शौकीन: ‘महबूबा ओये महबूबा’ गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग बुद्धा’ था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था. उस युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता तो जय और व??रू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.

Wednesday, January 25, 2012

Do not argue with an idiot.....

reAD IT...
 
Do not argue with an idiot. He will drag you down to his level and beat you with experience.
 
 
NICE ...HAHAHAHAHAAAAA!!!!!!!

I asked God for a bike.......

Read full JOKE:---
 
I asked God for a bike, but I know God doesn't work that way. So I stole a bike and asked for forgiveness.
 
Thanks